अपनी अगली लद्दाख ट्रिप पर कारगिल के लिए 3 दिन का समय निकालने, जानें क्यों…
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कारगिल. कभी जम्मू और कश्मीर राज्य में आने वाला कारगिल, अब 31 अक्टूबर 2019 से केंद्र शासित प्रदेश बने ‘लद्दाख’ का हिस्सा बन चुका है। श्रीनगर से तकरीबन 205 और लद्दाख से 370 किलोमीटर दूर स्थित कारगिल पाकिस्तान के साथ साझा होने वाली नियंत्रण रेखा के पास स्थित है। कारगिल दो शब्दों, खार और रकिल से जुड़ कर बना है। खार का मतलब है ‘महल’ और रकिल का मतलब है ‘बीच में’ यानि ‘महल के बीच बसा शहर।’
यहां की खूबसूरत घाटियां, शांत टाउन और बौध मठ पर्यटकों के आकर्षण का खास केंद्र हैं। इसलिए, लद्दाख की यात्रा करने वालों का टूर बिना कारगिल की खूबसूरती को देखे पूरा नहीं माना जाएगा। अगर आप अगली बार लद्दाख जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो कम से कम तीन दिन कारगिल के लिए ज़रुर रखें।
सुरु, जिसे पाकिस्तान में सिंधु नदी भी कहा जाता है, के किनारे बसा कारगिल समुद्र तट से 8,780 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसलिए यहां सालाना औसत तापमान तकरीबन 8.6 डिग्री सेल्सियस रहता है। सर्दीयों में माइनस तापमान के साथ यह देश का सबसे ठंडा स्थान बन जाता है।
यहां के बाजारों में एशियाई और तिब्बती वस्तुओं की प्रमुखता
कारगिल कभी मध्य एशिया के व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था। लेकिन भारत-चीन संघर्ष के बाद से स्थितियों में काफी बदलाव आया। आज यहां के पुराने बाजार में एशियाई तथा तिब्बती वस्तुओं की प्रमुखता है। आप यहां से खास तम्बाकू, तांबे की केतलियां और हुक्के, पर्वतारोहण संबंधी सामान, पशमीना शॉल, तिब्बती चटाईयां तथा लकड़ी के बने सामान ख़रीद सकते हैं।
एडवेंचर टूरिजम का बड़ा केंद्र है कारगिल
कारगिल की पहचान सेना के बड़े बेस कैंप के रूप में भी होती है। हिमालय की गोद में बसे होने और भौगोलिक स्थिति की वजह से यह रोमांचक पर्यटन (एडवेंचर टूरिज़्म) का एक प्रमुख केंद्र है। यहां होने वाले रोमांचक खेल, पर्वतारोहण, माउंटेन बाइकिंग, ट्रैकिंग और रिवर राफ्टिंग पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। हर साल मई महीने में कारगिल में होने वाली तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग यहां आते हैं।
पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है यहां की खूबानी
सुरु बेसिन के किनारे बसे इस शहर में बाली, गेहूं और कई प्रकार की हरी सब्ज़ियां उगाई जाती हैं। इसके अलावा पहाड़ी पीपल, खूबानी तथा सेब के पेड़ इसकी खूबसूरती को चार चांद लगा देते हैं। यहां की खूबानी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, जो कि अगस्त के महीने में पककर तैयार हो जाती है।

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यहां से देखें हिमालय का अद्भुत नज़ारा
कारगिल से गोमा कारगिल के बीच का नज़ारा आपको आश्चर्यचकित कर देगा। इन दोनों के बीच तकरीबन दो किलोमीटर की दूरी है। यहां स्थित सुरु नदी पर बने पुराने लकड़ी के पुल से गुज़र कर पोयेन गांव जा सकते हैं। यहां से शहर तथा हिमालय का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है।
आदिवासी ‘मिनारोज’ से मिलना न भूलें
कारगिल घूमने के दौरान आप यहां की सबसे पुरानी आदिवासी प्रजाति ‘मिनारोज’ से भी मुलाकात कर सकते हैं। कहते हैं कि वे सिकंदर की सेना का हिस्सा रह चुके हैं। ये ऊनी ट्यूनिक पहनते हैं, जिसके किनारों पर शानदार कड़ाई होती है। सिर पर यह एक भारी टोपी पहनते हैं, जिसमें सूखे फूल, कांटे तथा रिबन लगे होते हैं।
कारगिल में कहां रहा जाए?
कारगिल के होटलों को ए, बी और सी कैटगरी में वर्गीकृत किया गया है। जिन्हें ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। यहां दो टूरिस्ट बंगले हैं, जिनमें 3 सुईट और 15 फर्निश्ड कमरे हैं। रुम बुक करने के लिए आपको कारगिल पर्यटक कार्यालय से संपर्क करना होगा। इसके अलावा 6 सुसज्जित कमरों का एक सर्किट हाउस भी है, जिसे सिर्फ डीसी (डिप्टी कमिश्नर) कार्यालय के माध्यम से बुक किया जा सकता है।
इतिहास में कारगिल
9 वीं शताब्दी ईस्वी में ‘पुरीग’ के नाम से प्रसिद्ध कारगिल के पहले शासक गशो ‘थाथा खान’ थे। वे एक बौध राजकुमार थे। उनके बाद आये सुल्तान जांस्कर ने युद्धरत सोत, बारसो, सांकू जैसे छोटे राज्यों के बीच समझौता करवाते हुए उन्हें तब के ‘पुरीग’ का हिस्सा बनाया। इसीलिए उन्हें ‘द पुरीग सुल्तान’ के नाम से भी जाना जाता है। कारगिल पर बोटी खान, अब्दुल खान, अमरोद चू, तर्सिंग मलिक और कुंचोक शेरब स्टेन जैसे नाम चीन शासकों का भी राज रहा।

सानी गावाच्या नावावरून याला सनी मठ असेही संबोधले जाते. याठिकाणी अनेक बौद्ध गुरूंनी भेटी दिल्या आहेत. कुशाण राजा कनिष्काने हा मठ बांधलेला आहे. त्यामुळे येथे १०८ स्तूपांपैकी कनिका स्तूप देखील येथे आहे. मूलबेख मठातील मैत्रेय बुद्ध किंवा लाफिंग बुद्ध देखील एक आकर्षक ठिकाण आहे. उंच अशा खडकावर हा मठ बांधलेला आहे. येथील ९ मीटर उंचीची भगवान बुद्धाची मूर्ती बघण्यासाठी देश – विदेशातून लोक येतात.
कारगिल के दर्शनीय स्थल
द्रास वार स्मारक: भारतीय सेना ने 1999 के कारगिल युद्ध के शहीदों की याद में इसका निर्माण किया था, जो कि द्रास से लगभग छह किमी दूर टाइगर हिल के पास स्थित है। भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध मई-जून 1999 में शुरू हुआ था। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया और एक भीषण युद्ध में घुसपैठियों को बाहर निकालने के बाद क्षेत्र को फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया। इसमें भारतीय सेना के हजारों जवान शहीद हुए थे।
रंगदुम मोनेस्ट्री (मठ): समुद्र तट से 4031 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रंगदुम मठ का निर्माण 18वीं शताब्दी में बौध भिक्षुओं द्वारा किया गया था। यह अपनी बेहतरीन पेंटिंग्स के लिए जाना जाता है। इसके मध्य भाग में बने प्रार्थना स्थल पर खूबसूरत तिब्बती चित्रकारी की गई है।
मुलबेख मोनेस्ट्री: इस स्थान का मुख्य आकर्षण 9 मीटर ऊंची मैत्रेय चट्टान है, जिसे भविष्य का बुद्ध कहा जाता है। यह बौद्ध कला का उत्कृष्ट नमूना है। कई इतिहास कार इसे भगवान शिव की प्रतिमा भी कहते हैं।
सुरु वैली: इसे लद्दाख की सबसे खूबसूरत घाटी कहा जाता है। यह डिब्बीनुमा घाटियों का एक समूह है। यहां का सबसे आकर्षक स्थान कार्तसे खार है, जिसमें भगवान बुद्ध की 7वीं शताब्दी की एक प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा लगभग 7 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसके निचले सिरे से ‘कन’ और ‘नन’ नामक पहाड़ी चोटियों के मनोरम दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। सुरु घाटी जांस्कर और पदम जैसे अन्य पर्यटन स्थलों से घिरी हुई है।
पेंसी ला: समुद्र तट से 4,400 मीटर ऊंचाई पर स्थित यह एक दर्रा है। यह कारगिल जिले के जांस्कर का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। यहां से सुरू नदी घाटी, ग्लेशियल झील और द्रंग ड्रोन ग्लेशियर के अद्भुत नज़ारों को देखा जा सकता है।
शेगॉल: वाखा नदी की घाटी में बसा यह एक अत्यंत आकर्षक स्थान है। यहां एक गुफा है, जो कि दूर से एक छोटे से धब्बे की तरह दिखाई पड़ती है। कारगिल-लेह मार्ग पर स्थित यह स्थान मुलबेख से 5 किलोमीटर की दूरी पर है।
कारगिल क्षेत्र के अन्य प्रमुख आकर्षणों में लामायुरू मोनेस्ट्री (युरु गोम्पा), फोकर पहाड़, फुकताल मोनेस्ट्री, खातून पार्क, उरग्यान जांग, वाखा अरग्याल शामिल है।
कैसे पहुंचे कारगिल?
हवाई जहाज से..
यहां का निकटतम हवाई अड्डा श्रीनगर है। जिसकी कारगिल से दूरी तकरीबन 205 किलोमीटर है। यह भी कहा जा रहा है कि कारगिल में साल 2020 के शुरु में आर्मी द्वारा स्थापित एयरपोर्ट से कमर्शियल फ्लाइट्स भी प्रारंभ हो सकती हैं।
सड़क मार्ग से..
कारगिल श्रीनगर और लेह के बीच में स्थित है। इन दोनों शहरों से राज्य परिवहन की नियमित बस सेवा कारगिल के लिए चलती है। इसके अलावा आप प्राइवेट टैक्सी कर श्रीनगर से यहां पहुंच सकते हैं।
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