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साल 2022 में इन पांच जगहों पर जरुर घूमें

साल 2022 में इन पांच जगहों पर जरुर घूमें

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February 17, 2020

Ashish Rai

साल 2022 की शुरुआत हो चुकी है। इस साल को और यादगार बनाने के लिए Ease India Travel एक स्पेशल पैकेज लेकर आया है। हम आपको कुछ ऐसे डेस्टिनेशन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आप अपनी आगामी ट्रैवल लिस्ट में जोड़कर अपने ट्रिप को यादगार बना सकते हैं।

सेलुलर जेल, अंडमान

Then they posed for me.

अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में 1897 में बने सेलुलर जेल में स्वतंत्रता सघर्ष के दौरान क्रांतिकारियों को रखा जाता था। ‘काला पानी’ के नाम से कुख्यात इस जेल तक पहुंचने के लिए समुद्र का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता था।

इस जेल के अंदर 694 कोठरियां हैं। इन कोठरियों को बनाने का उद्देश्य बंदियों के आपसी मेल जोल को रोकना था। आक्टोपस की तरह सात शाखाओं में फैली इस विशाल कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं। कारागार की दीवारों पर वीर शहीदों के नाम लिखे हैं। यहां एक संग्रहालय भी है जहां उन अस्त्रों(wepons) को देखा जा सकता है, जिनसे स्वतंत्रता सैनानियों पर अत्याचार किए जाते थे।

हंपी, कर्नाटक

कर्नाटक में तुंगभद्र नदी के तट पर बसा हंपी एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। यहां विजयनगर साम्राज्य के बहुत सारे मंदिर हैं। इनमें विरुपाक्ष, लक्ष्मी, नरसिंम्हा, शिवलिंग और विजय विठ्ठल मंदिर प्रमुख हैं। यहां के आर्किटेक्चर और ऐतिहासिक महत्व रामायण काल से जुड़े हैं। हंपी एशिया का सबसे बड़ा स्मारक शहर भी माना जाता है। ये शहर 1 C.E. 1336-1565 के समय का बना हुआ है और 25Sq किमी में फैला हुआ है।

यहां मौजूद एलिफेंट स्टेबल एक लंबी और सिमेट्रिक बिल्डिंग जिसमें रॉयल हाथी बांधे जाते थे बेहद खुबसूरत है। इसके अलावा आप यहां राजसी महिलाओं के लिए बने हुए कमल महल, 500 साल पुराना विजयनगर शासक अच्युत राया द्वारा राजसी महिलाओं के नहाने के लिए बनवाया क्वीन्स बाथ और मतंगा हिल्स पर ट्रेकिंग के अलावा सनसेट को एन्जॉय कर सकते हैं।

यहूदी सिनैगॉग (प्रार्थना स्थल), केरल

कोच्चि शहर के पास स्थित फोर्ट कोच्चि में बना यहूदी सिनैगॉग अपनी सांस्कृतिक रंगत के कारण संसार में विशिष्ट स्थान रखता है। इसे 1568 ई. में मलबार यहूदियों या कोच्चिन यहूदी समुदाय द्वारा बनवाया गया था।

इसका निर्माण मट्टान्चेरी पैलेस मंदिर के निकट कोच्चि के पूर्व शासक राजा राम वर्मा द्वारा प्रदत्त भूमि पर कराया गया था। यह सिनैगॉग राष्ट्रमंडल देशों का अब तक मौजूद सबसे पुराना सिनैगॉग है। यहां की अन्य रोचक चीजों में हैं स्क्रोल्स ऑफ द लॉ (बेलन के रूप में लपेटी जाने वाली पुस्तिका) और उपहार के रूप में मिले सोने के अनेक मुकुट और चांदी की रेलिंग वाला मंच शामिल है।

कोणार्क का सूर्य मंदिर, ओडिशा

कोणार्क का सूर्य मंदिर ओडिशा के पुरी जिले के कोणार्क नामक कस्बे में स्थित है। यह असल में पूर्व में बने उस सूर्य मंदिर का महामंडप है, जो कि बहुत पहले ध्वस्त हो चुका है। सूर्य देवता को समर्पित रथ के आकार में बना यह सूर्य मंदिर भारत की मध्यकालीन वास्तुकला का श्रेष्ठ उदाहरण है। वैसे इस मंदिर में कोई प्रतिमा नहीं है क्योंकि यहां की सूर्य प्रतिमा पुरी के जगन्नाथ मंदिर में रख दी गई है।

ये सूर्य मंदिर समय की गति को भी दर्शाता है। पूर्व दिशा की ओर जुते 7 घोड़े सप्ताह के सातों दिनों के, 12 जोड़ी पहिये दिन के चौबीस घंटे के, और 8 ताड़ियां दिन के आठों प्रहर के प्रतीक हैं। वैसे पहियों के बारे में कहा जाता है कि 12 जोड़ी पहिये साल के बारह महीनों के बारे में संदेश देते हैं। यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में शामिल इस मंदिर को देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग यहां आते हैं।

नंदा देवी, उत्तराखंड

भारत के सर्वोच्य शिखरों में नंदादेवी की शिखर श्रृंखला शामिल है, लेकिन कुमाऊं और गढ़वाल वासियों के लिए नंदादेवी शिखर केवल पहाड़ न होकर देवी नंदा का स्थान माना जाता है। धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मां नंदादेवी का मेला प्रत्येक वर्ष पर्वतीय क्षेत्र में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोक परंपराओं में नंदा को ऋषि हिमवंत और मैनावती की बेटी माना गया है, जिनका विवाह शिव के साथ हुआ था।

नंदादेवी राजजात चमोली जिले की कर्णप्रयाग तहसील में स्थित नौटी गांव के नंदा देवी मंदिर से शुरू होती है। वहां से 280 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद हिमालय की ऊंची शृंखलाओं के बीच स्थित होमकुंड में पूजा के बाद वापस नौटी आकर संपन्न होती है।

फूलों की घाटी, उत्तराखंड

यह एक राष्ट्रीय उद्यान है जो कि गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित है। इसे विश्व की धरोहर घोषित किया गया है। फूलों की घाटी 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है। इसे यूनेस्को ने 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी हुई यह घाटी बेहद खूबसूरत है। यहां आपको फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी। यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों और फूल प्रेमियों के लिए बेहद फेमस है।

फूलों की इस घाटी को स्थानीय लोग परियों का निवास मानते हैं। ये ही वजह है कि लंबे वक्त तक लोग यहां जाने से कतराते थे। फूलों की घाटी की खोज सबसे पहले फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में की। फ्रैंक ब्रिटिश पर्वतारोही थे।

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